बुधवार, 21 मार्च 2012

गर्भस्थ शिशु का संकल्प !

नाम ,कुल ,गोत्र
संज्ञा ,सर्वनाम से हीन,
मैं एक अजन्मा शिशु
बोल रहा हूँ ,
अपनी माँ की कोख से.
अबोध भी कह नहीं सकता अपने आप को  
क्योंकि ये प्रश्न तो तब उठेंगे
जब मैं जन्म लूँगा इस धरती पर !
मेरी अधिकारिणी माँ
उचित लालन-पालन करेगी मेरा
ऐसा विश्वास है मुझे .
किन्तु पिता के स्नेह से वंचित,
माँ  के वैधव्य से सिंचित,
कितना कुछ कर सकूँगा
कहना कठिन है ,
फिर भी,
बध्द परिकर करता हूँ संकल्प 
कि समूल नष्ट करूँगा
खनन माफिया के संजाल को.
ट्रैक्टर  चालक तो निमित्त मात्र है,
ट्रैक्टर के बड़े पहियों के पीछे
छिपे है बड़े चेहरे
वे नज़र आते नहीं
बस नज़र आते है मोहरे !
नाम भले भिन्न हों राजनैतिक दलों  के
पर चेहरे भिन्न नहीं है,
चाल ,चरित्र ,चेहरे  की भिन्नता  भी नहीं दीखती !
करता हूँ करबध्द निवेदन अपनी माँ से 
सुनाये मुझे नित्य ही पिता के वीरत्व
और कर्तव्य- परायणता की कहानियाँ,
सुनकर जिन्हें मैं भेद सकूँ
उस  चक्रव्यूह को ,
जिसे भेदने के प्रयत्न   में
मेरे पिता शहीद हो गए.
टूटे हुए रथ के पहिये से
छिन्न भिन्न कर सकूँ ,
राजनेताओ की कौरवी सेना
और यदा यदा ही धर्मस्य की तर्ज पर
स्थापित कर सकूँ ,
कानून का राज्य
भिंड में,मुरैना में,
हर जगह हिंदुस्तान में !



विशेष: मुरैना में शहीद हुए उनके अजन्मे शिशु का संकल्प !

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही मर्माहत करने वाली घटना रही है यह ! हमारा समाज आज किधर जा रहा है ,यह प्रश्न शायद अनुत्तरित ही रहेगा.जीने हाथ में कानून का राज स्थापित करने का अधिकार है,वही इसे ठेंगा दिखा रहे है !

    नरेन्द्र कुमार की शहादत व्यर्थ नहीं जायेगी !

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  2. ghatna par ab khed hi vyakt kiya ja sakta hai parantu is ghatna ke baad kanoon ke nirmatao tatha rakhwalo ko is vishay par sonchna padega aap ka kahna sahi hai ki shadat vyarth nahi jayegi

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