शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

भविष्य के बच्चे !


विविध रूप रंग के
परिधानों से सजे हुए 
कंधे पर बस्ते के बोझ से
दबे हुए,
पकडे हुए उंगलिया माँ की, बाप की 
हर कालोनी  के द्वार  पर
खड़े हैं बच्चे,
क्योंकि आज से स्कूल खुल गए हैं !
वे लिखने जा रहे हैं
नया अध्याय जीवन का ,
हल करेंगे जमा घटा के कुछ सवाल 
ईंट रखेंगे नई
अपने भविष्य की इमारत की.
शब्द गढ़ेंगे नए
नयी और कोरी तख्ती की इबारत में !
संस्कारों की शाला से सीखेंगे नए पाठ ,
रटेंगे पहाड़े फिर चार दूनी आठ, 
ज्ञान वर्षों से इसी तरह आगे बढ़ा है,  
पुरानी पौध की जगह लेकर
नयी पौध ने उपवन को
फूलों से भरा है !
इसलिए जा रहे हैं बच्चे
बनने भविष्य
हमारा,समाज का,देश का !

बुधवार, 21 मार्च 2012

गर्भस्थ शिशु का संकल्प !

नाम ,कुल ,गोत्र
संज्ञा ,सर्वनाम से हीन,
मैं एक अजन्मा शिशु
बोल रहा हूँ ,
अपनी माँ की कोख से.
अबोध भी कह नहीं सकता अपने आप को  
क्योंकि ये प्रश्न तो तब उठेंगे
जब मैं जन्म लूँगा इस धरती पर !
मेरी अधिकारिणी माँ
उचित लालन-पालन करेगी मेरा
ऐसा विश्वास है मुझे .
किन्तु पिता के स्नेह से वंचित,
माँ  के वैधव्य से सिंचित,
कितना कुछ कर सकूँगा
कहना कठिन है ,
फिर भी,
बध्द परिकर करता हूँ संकल्प 
कि समूल नष्ट करूँगा
खनन माफिया के संजाल को.
ट्रैक्टर  चालक तो निमित्त मात्र है,
ट्रैक्टर के बड़े पहियों के पीछे
छिपे है बड़े चेहरे
वे नज़र आते नहीं
बस नज़र आते है मोहरे !
नाम भले भिन्न हों राजनैतिक दलों  के
पर चेहरे भिन्न नहीं है,
चाल ,चरित्र ,चेहरे  की भिन्नता  भी नहीं दीखती !
करता हूँ करबध्द निवेदन अपनी माँ से 
सुनाये मुझे नित्य ही पिता के वीरत्व
और कर्तव्य- परायणता की कहानियाँ,
सुनकर जिन्हें मैं भेद सकूँ
उस  चक्रव्यूह को ,
जिसे भेदने के प्रयत्न   में
मेरे पिता शहीद हो गए.
टूटे हुए रथ के पहिये से
छिन्न भिन्न कर सकूँ ,
राजनेताओ की कौरवी सेना
और यदा यदा ही धर्मस्य की तर्ज पर
स्थापित कर सकूँ ,
कानून का राज्य
भिंड में,मुरैना में,
हर जगह हिंदुस्तान में !



विशेष: मुरैना में शहीद हुए उनके अजन्मे शिशु का संकल्प !